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इसरो ने बताया कि जीसैट-6ए, जीसैट-6 की ही तरह है और यह उच्च क्षमता वाला एस-बैंड संचार उपग्रह है। इस मिशन में1-2के उपग्रह बस का इस्तेमाल किया गया है। इस अंतरिक्षयान के अभियान की मियाद तकरीबन 10 साल है। इसरो ने बताया कि यह उपग्रह मल्टी बीम कवरेज सुविधा के जरिये मोबाइल संचार में मदद देगा। जीसैट-6ए के बाद नेविगेशन उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा जो अगले वित्त वर्ष में संभव होगा। 2018-19 के केंद्रीय बजट में अंतरिक्ष विभाग को धरती की निगरानी करने वाले तीन अंतरिक्ष यान लॉन्च करने और चार ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की उड़ान के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद इसरो चेयरमैन के सिवान का ये पहला प्रोजेक्ट था।
ये होगा फायदा
● मल्टी बीम कवरेज सिस्टम से मोबाइल कम्युनिकेशन
● 6 मीटर तक खुलने वाले एस-बैंड एंटीना का पहली बार उपयोग
● हाथ में समाने वाले ग्रांउड टर्मिलन से भी पकड़े जाएंगे सिग्नल, अभी तक छोटे एंटीना होते थे, जिनके लिए लगते थे बड़े टर्मिनल
● 5 स्पॉट बीम से आम आदमी के लिए एस-बैंड कवरेज होगी, एक स्पॉट बीम से सेना के लिए सी-बैंड कवरेज देगा
● सेना बिना मोबाइल नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी बना सकेगी कम्युनिकेशन
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