भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने 12 जनवरी, 2018 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी–सी 40 के जरिये एक साथ 31 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे। यह प्रक्षेपण ISRO का 100वां सैटेलाइट लांच भी है। पीएसएलवी श्रृंखला के सैटेलाइट का नाम कार्टोसैट–2 है। इस सैटेलाइट को 'आई इन द स्काइ' के नाम से भी जाना जा रहा है, क्योंकि ये अतंरिक्ष से तस्वीरें लेने के लिए ही बनाया गया है। यह कार्टोसेट–2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह है, जिसे कक्षा में स्थापित किया जा रहा है। इसमें पैक्रोमेटिक और मल्टी स्पेक्ट्रम कैमरे लगे हैं, जो उच्च क्षमता की तस्वीरें लेने में सक्षम हैं। तस्वीरों का इस्तेमाल, भू–मानचित्र बनाने, सड़क नेटवर्क की निगरानी, जल वितरण में होगा भू–सतह में आने वाले बदलावों की भी निगरानी इस उपग्रह से मिली तस्वीरों से होगी। इससे पहले 31 अगस्त, 2017 को इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नैविगेशन उपग्रह को स्थापित करने में असफल रहा था।
इसरो ने बताया कि 44.4 मीटर लंबे राकेट पीएसएलवी–40 से लांच होने वाले इन उपग्रहों में कार्टोसैट–2, भारत का एक नैनो सैटेलाइट, एक माइक्रो सैटेलाइट और 28 विदेशी उपग्रह शामिल हैं। विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के 25 नेनों और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं। इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है। सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक कार्पोरेशन लिमिटेड ने संभाली है। यह इसरो के सबसे लंबे मिशनों में से एक है। इससे पहले इसरो ने 15 फरवरी, 2017 को 104 सैटेलाइट की सफल लॉंचिंग कर विश्व रिकार्ड बनाया था।
इसरो के नवीनतम प्रक्षेपित उपग्रहों की सूची
प्रक्षेपणयान | स्थापित उपग्रह एवं वजन | तिथि | विशेषतायें/प्रयोग |
1. कार्टो सैट–2 अमरीका सहित 6 देशों (कनाडा, फिनलैण्ड, फ्रांस, साउथ कोरिया, यूके और अमरीका) के 28 सैटेलाइट प्रक्षेपित किये गये | PSLV-C40 | 12 जनवरी, 2018 |
कार्टो सैट–2 को आसमानी आंख भी कहा जा रहा है। मुख्यत: यह एक मानचित्रण उपग्रह है जो जासूसी भी कर सकता है, मिशन में PSLV-C40 से भेजे गये सभी सैटेलाइट्स का वजन 1323 kg है, इनमें कार्टो सैट–2 का वजन 710 kg और बाकी 30 सैटेलाइट का वजन 613 kg है। मिशन में कुल 31 उपग्रह प्रक्षेपित किये गये जिनमें 28 विदेशी एवं 3 भारतीय उपग्रह हैं।
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2. कार्टो सैट–2 श्रृंखला | PSLV-C38 (712 Kg) | 23 जून, 2017 | श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया है। यह सुदूर संवदेन उपग्रह उच्च विभेदन दृश्य विशिष्ट स्थान प्रतिबिम्ब प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया। श्रृंखला में पहले उपग्रहों के विन्यास में समान है। |
3. जी सैट–19 | GLSV-MK III-D1 (3136 Kg) | 5 जून, 2017 | यह संचार उपग्रह है। इसमें कुछ उन्नत अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकियां भी शामिल हैं जिनके लघु ताप पाइप, फाइबर प्रकाशिकी जाइरो, सूक्ष्म इलेक्ट्रो–मैकेनिकल प्रणाली (MEMS) एक्सीलरोमीटर क्रू–बैंड टीटीसी ट्रांसपोंडर और स्वदेशी लीथियम आयन बैटरी शामिल हैं। |
4. जी सैट–9 (South Asia Satellite) | GLSV-F09/GSAT-09 | 5 मई, 2017 | दक्षिण एशिया सैटेलाइट जी सैट–9 भारत के द्वारा निर्मित भूस्थिर संचार उपग्रह है। जीसैट–9 का प्राथमिक उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों के कवरेज के साथ क्रू बैंड में विभिन्न संचार अनुप्रयोगों को प्रदान करना है। |
5. आईएनएस–1B | PSLV-C37 (9.7 Kg) | 15 फरवरी, 2017 | यह गहरे अंतरिक्ष अवलोकन के माध्यम से अंतर्ग्रहीय हाइड्रोजन लीयन–अल्फा पृष्ठभूमि प्रवाह का अनुमान लगाएगा। |
6. रिसोर्स सैट–2A | PSLV-C36 (1235 Kg) | 7 दिसम्बर, 2016 | यह वैश्विक उपयोगर्ताओं को सुदूर संवेदन द्वारा सेवाओं को जारी रखने के लिए है। |
7. जी सैट–18 | Ariane-5VA-231 (3404 Kg) | 6 अक्टूबर, 2016 | यह एक संचार उपग्रह है जो 6 अक्टूबर, 2016 को कौरू, फ्रैंचगुयाना से प्रक्षेपित किया गया। |
8. Advance Technology | स्क्रैमजेट इंजन प्रौद्योगिकी प्रदर्शन | 28 अगस्त, 2016 | श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से SCRAM-JET इंजन का परीक्षण इसरो ने किया। यह इंजन वायुमण्डल में उपलब्ध ऑक्सीजन का प्रयोग करता है। नोट : SCRAM-JET इंजन की क्षमता इससे पूर्व अमेरिका, रूस व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेन्सी के पास ही उपलब्ध थी तथा भारत ऐसी क्षमता वाला चौथा देश बन गया है। |
9. GSLV-F05 | INSET-3DR (वजन : 2211 किग्रा) | 8 सितम्बर, 2016 |
• किसी भी ऑपरेशनल GSLV उड़ान के लिए पहली बार स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का प्रयोग किया गया।
• INSET-3DR इमेजिंग प्रणाली और एटमास्फियरिक साउंडर से युक्त एक उन्नत मौसम उपग्रह है। इसने 17 सितम्बर, 2016 से मौसम, खोज व बचाव सम्बन्धी जानकारियों का सम्प्रेषण कर दिया। नोट : • यह अपने पूर्ववर्ती INSET-3D के पूरक के रूप में कार्यरत होगा। • GSLV-F05 की इस सफलता से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ISRO की प्रतिष्ठा में भारी वृद्धि हुई है। इतने भारी वजन के उपग्रहों को भूस्थैतिक कक्षा (Geo-Stationary Orbit-GSO) में स्थापित करने की क्षमता इससे पूर्व अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, चीन व यूरोप के पास थी। |
10. PSLV-C35 | SCAT-SAT.1 और 7 अन्य उपग्रह (वजन : 675 किग्रा) | 26 सितम्बर, 2016 | • यह पहला PSLV मिशन है जिसने उपग्रहों को दो अलग–अलग कक्षाओं में एक साथ स्थापित किया है। • भारत निर्मित उपग्रह की संख्या : 3 (1. SCAT-SAT-1 : मौसम व समुद्र से सम्बन्धित अध्ययन, 2. प्रथम, 3. PISAT) • विदेशी उपग्रह की संख्या : 5 (अल्जीरिया के : ALSAT-1B, ALSAT-2B, ALSAT-1N, कनाडा के : NLS-19 और अमेरिका के : Path Finder-1) • 3 भारत के और 5 विदेशी कुल 8 उपग्रहों का कुल वजन 675 किग्रा था। |
11. PSLV-C36 | RESOURCES SAT-2A (वजन : 1235 किग्रा) | 7 दिसम्बर, 2016 | • 5 वर्ष मिशन अवधि वाले इस उपग्रह से भेजे गये आंकड़े एवं चित्र कृषिगत अनुप्रयोगों यथा फसल क्षेत्र एवं उत्पादकता आकलन, फसल प्रणाली विश्लेषण, मृदा मानचित्रण आदि हेतु उपयोग होंगे। • इस उपग्रह से सूखा क्षेत्र के बेहतर पर्यवेक्षण के अतिरिक्त अन्य भू संसाधनों के पर्यवेक्षणों में भी मदद मिलेगी। नोट : इसरो द्वारा विकसित इस उपग्रह ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा (आन्ध्र प्रदेश) से उड़ान भरी थी। |
12. PSLV-C37 | कुल 104 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित | 15 फरवरी, 2017 | • कुल 104 सेटेलाइट में से 101 विदेशी और 3 भारत के हैं। • 101 विदेशी सेटेलाइट में से 96 सेटेलाइट अमेरिका के जबकि इजरायल, कजाकिस्तान, यूएई, नीदरलैण्ड, स्विट्जरलैण्ड, के एक–एक सेटेलाइट शामिल हैं। • 3 उपग्रह भारत के हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 714 किलोग्राम का कार्टोसेट–2 हैं, • कार्टोसेट–2 भारत को मौसम सम्बन्धी सूचना इकट्ठा करने में मदद देगा, इसकी कार्यावधि 5 वर्ष की है। नोट : 104 सेटेलाइट एक साथ भेजकर भारत ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है, जो अब तक रूस (37 सेटेलाइट एक साथ वर्ष 2014 में) के नाम था। |
13. GSLV-F09 | G-SAT-9 |
5 मई, 2017
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• दक्षिण एशियाई उपग्रह में केयूबैंड ट्रांसपोंडर के सार्क देशों में आपदा प्रबंधन, मौसम विज्ञान, सूचना संचार की सेवाएं प्रदान करेगा। |
14. GSLV-F09 | G-SAT-19 | 5 जून, 2017 | • भारत का सबसे अधिक वजनी उपग्रह जोकि भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया गया है। • इससे भारत को सूचना संचार में क्षमता बहुत अधिक हो जायेगी। |
15. PSLV-38 (40वीं उड़ान) | कार्टोसैट–2 + 29 ने नौ उपग्रह 14 देशों के प्रक्षेपित किये गये | 23 जून, 2017 | • मानचित्रण उपग्रह है, जो आई.आर.एस. के अन्तर्गत जासूसी भी कर सकता है। |
16. एरियन–5A-238 | GSAT-17 | 29 जून, 2017 | • मौसम सम्बन्धी आंकड़ों के प्रसारण करने वाले उपकरण लगे हैं, जो पल–पल के मौसम की जानकारी देंगे। • खोज और बचाव कार्य हो सकेगा। • मोबाइल उपग्रह सेवाओं के साथ–साथ अंटार्कटिक क्षेत्रों तक पहुंचना सुलभ होगा। |
17. पीएसएलवी C-39XL | IRNSS-1H | 31 अगस्त, 2017 | आई.आर.एन.एस.एस. श्रृंखला का यह 8वां उपग्रह था, जोकि असफल रहा। इस प्रणाली के द्वारा देश की मुख्य भूमि के साथ इससे संलग्न 1500 किमी. के क्षेत्र में बेहतर स्थलीय, हवाई एवं समुद्री नेविगेशन सुविधायें प्राप्त की जा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपग्रह आधारित क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली को 'नाविक' का विशिष्ट नाम दिया है। • भारत अब अमेरिका (GPS), रूस (ग्लोनास), यूरोपीय संघ (गैलीलियो), चीन (बेइडोयू) और जापान (QZSS), के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया जिनके पास अपनी नेविगेशन प्रणाली है। |
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